केन्द्रीय विद्यालय संगठन ने भारत में स्कूली शिक्षा में गति-स्थापना संगठन होने के नाते मध्य प्रदेश के ग्वालियर में अपना पहला आंचलिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान स्थापित किया। यह केन्द्रीय विद्यालय संगठन के प्राचार्यों सहित शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की प्रशिक्षण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्थापित किया गया था।
आंचलिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, ग्वालियर का नींव का पत्थर 30 सितंबर 1995 को स्वर्गीय श्री माधवराव सिंधिया, तत्कालीन केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री, भारत सरकार के द्वारा रखा गया था।
मुख्य भवन, आवास, प्रशासनिक ब्लॉक और प्रशिक्षण सुविधाओं का उद्घाटन 20 नवंबर 2002 को श्री हर्ष महान कैरे, भा.प्र.से., तत्कालीन आयुक्त, केन्द्रीय विद्यालय संगठन के द्वारा किया गया था। संस्थान के पास वृक्षीय परिवेश युक्त 15 एकड़ जमीन लगभग 100 प्रतिभागियों के लिए हॉस्टल सुविधाओं के साथ है। संस्थान में खेल के मैदान, उद्यान, पार्क, फव्वारे और ओपन थियेटर आदि जैसी अन्य सुविधाएं भी हैं।
अपनी स्थापना के बाद से के. वि. सं., आं. शि. एवं प्र. सं., ग्वालियर ने प्रशिक्षण क्षेत्र में अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को उत्कृष्ट प्रशिक्षण प्रदान करते हुए वापस मुड़के नहीं देखा है। के. वि. सं., आं. शि. एवं प्र. सं., ग्वालियर में शिक्षकों को कक्षा शिक्षण, प्रबंधन और शिक्षण पद्धतियों में नए रुझानों को समझने के लिए व्यवस्थित प्रशिक्षण मॉड्यूल के माध्यम से समय-समय पर प्रशिक्षित किया जाता है।
के.वि.सं., आं.शि.एवं प्र.सं., ग्वालियर को पांच संभाग – आगरा, भोपाल, जबलपुर, लखनऊ और वाराणसी संभाग के कर्मचारियों की प्रशिक्षण आवश्यकताओं को पूरा करने की जिम्मेदारी दी गई है। प्रशिक्षण के अलावा, संस्थान विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल विकसित करने में सक्रिय रूप से शामिल है और समय-समय पर के.वि.सं. (मुख्यालय) से प्राप्त शैक्षणिक नीतियों को लागू करने में एक सहायक प्रणाली के रूप में भी कार्य करता है।